२५२ वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव - २७ ) श्री गुसाँईजी के सेवक हरजी कोठरी की वार्ता
हरजी कोठरी के दो ओर भाई थे, जब श्री गुसाँईजी असारवा में पधारते तो तीनों भाइयों का मन प्रसन्न रखते थे। वे एक भाई के घर शयन करते थे अन्य भाई के घर रसोई करते तथा तीसरे भाई के घर में बैठक रखते थे। इन तीन भाई ओ में हरजी कोठरी पण्डित थे। अतः हरजी कोठरी ने विठ्ठल सहस्नाम ग्रन्थ प्रकट किया। वे श्रीगुसांईजी को पूर्ण पुरुषोत्तम के रूप में मानते थे। वे तीनो भाई ऐसे कृपा पात्र थे जो अभी तक उनके घर की बैठक असखा में प्रसिद्ध हे।
| जय श्री कृष्ण |
| जय श्री कृष्ण |
Jai ho Shree Gusaniji ki.
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