२५२ वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव ८२ ) श्री गुसाईंजी के सेवक देवा भाई पटेल की वार्ता
वह वैष्णव आगरा से दो सामग्री भरकर गोपालपुर में ला रहा था। उसके रस्ते में भैरव देवा भाई पटेल गुजरात में रहते थे। श्री ठाकुरजी पघरा कर सेवा करते थे और नियम पूर्वक वैष्णवों को प्रतिदिन प्रसाद करते थे। जिस दिन प्रसाद लेने वाला कोई वैष्णव नहीं मिलता था, उस दिन देवभाई और उसकी स्त्री थे। वे दोनों ही भगवद रस में छके रहते थे। एक बार श्री गुसाईंजी गुजरात में पधारे। देवभाई के बेटा ने श्रीगुसांईजी से विनती की -"जिस दिन कोई वैष्णव प्रसाद लेने नहीं अत हे उस दिन देवा भाई भूखे रहते थे। में तो प्रसाद लेकर खेती करने चला जाता हु। माता - पिता को भूखे छोड़कर में प्रसाद ग्रहण कर लेता हूँ। यह अपराध कैसे मिटे ?"देवा भाई का बेटा की बात सुनकर श्रीगुसांईजी बहुत प्रसन्न हुए और उससे कहा -"तुम प्रतिदिन स्नान करके श्रीठाकुरजी के चरण स्पर्श करो और भोग धरो, तुम्हारा अपराध निवृत हो जाएगा। श्रीगुसांईजी ने देवा भाई से कहा -"यदि किसी दिन कोई वैष्णव नहीं आए तो गे के लिए पटल रखकर तुम प्रसाद ले लिया करो। "श्रीगुसांईजी की आज्ञानुसार देवभाई वैसे ही करने लग गए। देवा भाई का बीटा खेती करता था। उसका घर खर्च से जो धन बचता उसे श्रीनाथजी द्वार भेज देते थे। वे देवा भाई श्रीगुसांईजी के ऐसे कृपा पात्र थे।
| जय श्री कृष्ण |
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