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वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव
९३)श्रीगुसांईजी
के सेवक गोपालदास भीतरिया की
वार्ता
ये
गोपालदास गुजरात से श्रीगुसांईजी
के साथ ही आए थे|
श्रीगुसांईजी
ने गोपालदास को श्रीनाथजी की
सेवा सौपी थी श्रीनाथजी गोपालदास
के ऊपर ऐसी कृपा करते थे कि
जहाँ वे सेवा में चूक करते,
वहाँ
श्रीनाथजी उन्हें भूल सुधार
कराते और सेवा विधि सिखाते
थे|
गोपीनाथदास
ग्वाल की वार्ता में यह प्रसंग
लिखा है|
श्रीनाथजी,
गोपाल
को साथ लेकर वन में जाते थे,
जो
सेवा गोपालदास को नहीं आती,
उसे
श्रीनाथजी आप स्वयं बताकर
करा लेते थे|
ऐसी
अनेक रीती अनुभव कराते थे|
वे
गोपालदास ऐसे कृपा पात्र थे|
।जय
श्री कृष्ण।
जय श्री कृष्णा। यमुना महारानी की जय।महाप्रभुजी की जय।गोसाईंजी की जय। गुरुदेव जी प्यारे की जय।
ReplyDeleteजय श्री कृष्णा। यमुना महारानी की जय।महाप्रभुजी की जय।गोसाईंजी की जय। गुरुदेव जी प्यारे की जय।
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