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वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव
९७)श्रीगुसांईजी
के सेवक माधवदास कपूर की वार्ता
वे
माधवदास कपूर आगरा में रहते
थे|
एक
बार श्रीगुसांईजी आगरा पधारे
तो जनार्दनदास चौपड़ा के घर
पर उतरे थे|
वहां
जब माधवदास दर्शन करने गए तो
उसे साक्षात श्रीगोवर्धननाथजी
के दर्शन हुए|
माधवदास
दर्शन करके बड़ा विस्मित हुआ
और विनती कर बोला-"
महाराज
मुझे अपनी शरण में लो|"
श्रीगुसांईजी
ने कृपा करके उसे नाम निवेदन
कराया|
उसे
सेवा पधरा दी|
माधवदास
श्रीठाकुरजी की सेवा करने लग
गए|
उसे
श्रीठाकुरजी की लीला का अनुभव
हुआ|
कभी
तो श्रीनाथजी रासलीला का अनुभव
कराते,
कभीदान
लीला कराते दिखाई देते तो कभी
बाल लीला का अनुभव जताते|
ऐसी
अनेक लीलाओ के दर्शन माधवदास
को होते थे|
माधवदास
श्रीगुसांईजी के ऐसे कृपापात्र
थे|
।जय
श्री कृष्ण।
जय श्री कृष्णा।यमुनाजी की जय। महाप्रभुजी की जय।गोसाईंजी परम दयाल की जय।गुरुदेव जी प्यारे की जय
ReplyDeleteजय श्री कृष्णा।यमुनाजी की जय। महाप्रभुजी की जय।गोसाईंजी परम दयाल की जय।गुरुदेव जी प्यारे की जय
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