Wednesday, December 9, 2015

Shri Gusaiji Ke Sevak Pardhi Ki Varta

२५२ वैष्णवों की वार्ता
श्रीगुसांईजी के सेवक पारधी की वार्ता

वह पारधी राजा के पास से हंस हंसिनी के जोड़ा पकड़ने का पुरस्कार एक लाख रुपया ले गया और श्रीठाजुरजी ने वैध बनकर हंस युगल को मुक्त करा दिया| पारधी ने विचार किया कि वैष्णवधर्म सबसे श्रेष्ठ है| वैष्णव का वेश धारण करने पर हंस भी पकड़ में आ गए| हंसो पर श्रीठाकुरजी कृपा हुई अतः वैष्णव होना अच्छा है| यह विचार करके वह श्रीगोकुल में जाकर श्रीगुसांईजी की शरण में गया| श्रीगुसांईजी ने उससे पूछा-" तू वैष्णव धर्म का निर्वाह कर सकेगा?'' उसने कहा-" महाराज, मैने झूठा वैष्णव का वेशधारण किया तो मुझे एक लाख रुपया प्राप्त हुआ| अब जब वैष्णव का सच्चा वेश पहनकर शुद्ध आचरण करूँगा तो श्रीठाकुरजी क्या नहीं देंगे?" यह सुनकर श्रीगुसांईजी बहुत प्रसन्न हुए| उस पारधी को शरण में लिया और श्रीगोवर्धन नाथजी के दर्शन कराये| उसके माथे भगवत सेवा भी पधराई| वह पारधी पुष्टिमार्ग की पद्धति से सेवा करने लगा| थोड़े ही दिन पीछे श्रीठाकुरजी उस पारधी को अनुभव जताने लग गए| उस पारधी ने बहुत दिन तक सेवा की| उसके पास जितना भी द्रव्य था, उसने श्रीगुसांईजी को भेट कर दिया| वह पारधी श्रीगुसांईजी का ऐसा कृपा पात्र था|


।जय श्री कृष्ण।
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3 comments:

  1. श्री नाथ जी की जय। श्री यमुना महारानी की जय। महाप्रभु जी प्यारे की जय। गोसाईंजी परम दयाल की जय। गुरुदेव जी की जय। सभी वैष्णव जन की जय।

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  2. This picture is not of shri gusainji

    this is of shri popendralalji of shri gopal pith

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    this is of shri popendralalji of shri gopal pith

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