२५२ वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव ९०)श्रीगुसांईजी के सेवक नारायणदास सनाढ्य ब्राह्मण की वार्ता
ये
नारायणदास आन्योर गाँव
में
रहते
थे|
श्रीगुसांईजी के दर्शन
पूर्ण
पुरषोत्तम रूप में
करके
उनकी
शरण
में
आए|
ये
श्रीनाथजी के नित्य
दर्शन
करते
थे|
नारायणदास के संबंधी
इन्हे
बहुत
दुःख
देते
थे
अतः
ये
श्रीगोकुल में आकर
रहे| जन्म पर्यन्त
श्रीनवनीतप्रियजी की सेवा
करते
रहे|
इन
नारायणदास को सेवा
में
ऐसी
आसक्ति
थी
जैसे
अमल(अफीम)
खाने
वाले
को
होती
है|
अफीम
खाने
वाले
को
बिना
अफीम
खाये
रहा
नहीं
जाता,
उसी
प्रकार
इन्हे
सेवा
के
बिना
नहीं
रहा
जाता
था|
श्रीनवनीतप्रियजी इनको सोते
से
जगाकर
सेवा
कराते थे| सेवा
के
समय
इनके
पास
आकर
बैठ
जाते
थे|
इनसे
बातें
भी
करते
और
सेवा
कराते
थे|
सो
नारायणदास श्रीगुसांईजी के
ऐसे
कृपा
पात्र
थे|
।जय श्री कृष्ण।
Mश्री कृष्ण शरणं मम्
ReplyDelete।। जय श्री कृष्ण ।।
।। श्री वल्लभाघिश की जय ।।
।। श्री गिरिराजधरन की जय।।
।। श्री गुसाइजीपरमदयाल की जय।।
।। श्यामसुंदर श्रीयमुना महारानी की जय ।। जय श्री गुरुदेव जी की
Mश्री कृष्ण शरणं मम्
ReplyDelete।। जय श्री कृष्ण ।।
।। श्री वल्लभाघिश की जय ।।
।। श्री गिरिराजधरन की जय।।
।। श्री गुसाइजीपरमदयाल की जय।।
।। श्यामसुंदर श्रीयमुना महारानी की जय ।। जय श्री गुरुदेव जी की
श्री कृष्ण शरणम ममः
ReplyDeleteJai shri krishna 🙏🙏🙏
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