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वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव ८९)श्रीगुसांईजी
के सेवक दो पटेल भाई (जो
मलयागिरि चंदन लाए)
की
वार्ता
वे
पटेल भाई गुजरात से ब्रज में
गए और श्रीगुसांईजी के सेवक
हुए|
वहा
श्रीगोवर्धननाथजी की सेवा
में रहे|
श्रीगोवर्धननाथजी
की तन-मन-धन
से सेवा करके दोनों भाई
श्रीगुसांईजी के निर्देशानुसार
एक दिन मलयागिरि चन्दन लेने
के लिए चले|
वे
दोनों पटेल भाई मलयागिरि पर
जाकर चन्दन के वृक्ष को काटने
लगे,
तो
एक भाई को सर्प ने फुंकार मार
दी|
दूसरे
भाई ने श्रीगोवर्धननाथजी का
नाम लेकर जल के छींटे लगा दिए|
उसके
विष का प्रभाव शान्त हो गया|
विष
उतर गया|
उन्होंने
श्रीगुसांईजी को मलयागिरि
चन्दन लेजाकर अर्पण किया|
श्रीगुसांईजी
ने आज्ञा की-"
तुम
दोनों भाई कुछ मांग लो|"
उन्होंने
विनती की-"
हम
अपने हाथ से श्रीनाथजी को
चन्दन धरना चाहते है|"
श्रीगुसांईजी
ने आज्ञा की-"
तुम
अपने हाथो चंदन धाराओ|"
उनमे
से एक भाई ने चन्दन धराया और
दूसरे ने पंखा किया|
दोनों
भाई श्रीगुसांईजी के ऐसे कृपा
पात्र थे जिसने श्रीनाथजी
बोलते थे और वन में उन्हें संग
ले जाते थे|
श्रीगुसांईजी
की कृपा से दोनों भाई भगवदीय
हुए|
।जय
श्री कृष्ण।
जय हो श्रीजी बाबा कृपानिधान की। यमुना महारानी की जय। महाप्रभुजी प्यारे की जय। गोसाईं जी परम दयाल की जय
ReplyDeleteजय हो श्रीजी बाबा कृपानिधान की। यमुना महारानी की जय। महाप्रभुजी प्यारे की जय। गोसाईं जी परम दयाल की जय
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