Monday, December 28, 2015

Shri Gusaiji Ke Sevak Virakt Vaishnav Ki Varta

२५२ वैष्णवों की वार्ता
( वैष्णव ९१)श्रीगुसांईजी के सेवक विरक्त वैष्णव की वार्ता

वह विरक्त वैष्णव चुटकी मँगाकर निर्वाह करता था| वह प्रतिदिन श्रीगिरिराजजी की परिक्रमा भी करता था। उसके पास दो अन्य वैष्णव आकर रह गए| वह वैष्णव चुटकी करके लाता, रसोई बनाता और दोनों वैष्णवो की भी पत्तल लगाया करता था| एक दिन उस विरक्त वैष्णव को श्रम बहुत हो गया| वह थक गया| उसका श्रम श्रीनाथजी सहन नहीं कर सके| श्रीनाथजी ने आकर उन दोनों वैष्णवो से कहा-" तुम दोनों रसोई करो, यह वैष्णव चुटकी माँगकर कर लाएगा|" तब से वे दोनों ब्राह्मण रसोई करने लगे| इस प्रकार तीनो जने हिलमिल कर रहने लगे| तीनो ही साथ साथ महाप्रसाद लेते थे| वह विरक्त वैषणव श्रीगुसांईजी का ऐसा कृपा पात्र था जिसका श्रम श्रीनाथजी सहन नहीं कर सके|

।जय श्री कृष्ण।


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2 comments:

  1. SHREE GUSAIJI PARAM DAYAL KI JAY HO .SHREE VALLABH PRABHU KI JAY HO.PARAM KRUPAL SHREE SHREEJIBAVA PYARE KI SADEV JAY HO JAY HO JAY JAY HO

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  2. JAY SHREE KRUSHNA TO ALL VAISHNAV

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