Sunday, December 3, 2017

Shri Gusaniji Ke Sevak Bhavnagar Vasi Brahman Ki Varta


२५२ वैष्णवों की वार्ता   
(वैष्णव १२८ श्री गुसाँईजी के सेवक भावनगर वासी ब्राह्मण की वार्ता
एक बार श्रीगुसांईजी दक्षिण में पधारे तो भावनगर में उस ब्राह्मण को वेद पढाते देखा। श्री गुसाँईजी ने विचार किया -"यह ब्राह्मण बहुत अच्छा वेद का पथ करता हे , परन्तु अर्थ नहीं समझता है।, यदि अर्थ भी समजे तो बहुत अच्छा रहे। इतने में ही उस ब्राह्मण के मन में आया की "में श्रीगुसांईजी के शरणागत हो जाऊ। "वह ब्राह्मण श्रीगुसांईजी की शरण में गया। कथा सुनाने लगा। श्रीगुसांईजी की कृपा से उस ब्राह्मण को वेद का अर्थ स्फुरित होने लगा। वह ब्राह्मण श्रद्धा सहित वेद का पथ करने लग गया। एक दिन श्रीनाथजी ने श्रीगुसांईजी को आज्ञा की -"एएस ब्राह्मण को हमारे निज मंदिर के आगे वेद पथ कराओ। "श्रीठाकुरजी की आज्ञा की अनुपालना में वह ब्राह्मण निज मंदिर के आगे श्रृंगार से राजभोग तक वेद पथ करने लगा। कहीं अक्षर व् मात्रा में भूल होती थी तो श्रीठाकुरजी आकर बताते थे। वह ब्राह्मण ऐसा कृपापात्र था।

                                                                                जय श्री कृष्ण 
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2 comments:

  1. जय हो प्रभु। जय श्री कृष्ण। कृपानिधान की जय।

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