Thursday, September 28, 2017

Shri Gusaniji Ke Sevak Maa Bete Ki Vaarta


२५२ वैष्णवों की वार्ता   
(वैष्णव ९९ श्री गुसांईजी के सेवक मां बेटा की वार्ता

ये दोनों मां - बीटा तीर्थ यात्रा करने के लिए गए तीर्थ यात्रा करते हुए ये श्री गोकुल में पहुंचे, वंहा इन्होने श्री गुसांईजी के दर्शन पूर्ण पुरुषोत्तम के रूप में किये इन दोनों माता पुत्रो ने श्री गुसांईजी से प्रार्थना की - "हमें सेवक बना लो." श्री गुसाँईजी ने इन पर कृपा करके इन्हे नाम निवेदन कराया। श्री गुसाँईजी से अग्नि लेकर ये श्रीनाथजी के दर्शन करके श्रीगोकुल पुनः आ गए। वे श्री गुसांईजी के बिना एक दिन भी नहीं रह सकते थे. उस बेटा की श्री गुसाँईजी में अधिक आसक्ति थी अतः ये बहुत दिनों तक श्री गोकुल में श्री गुसांईजी के पास रहे. एक दिन श्री गुसांईजी ने उन्हें अग्नि दी -"तुम अपने गाँव को जाओ." उन्होंने कहा - "महाराज, आपके दर्शनों के बिना कैसे रहा जाएगा? " श्री गुसांईजी ने उन्हें एक ऐसा भगवत स्वरुप पघराया जिसमें श्री गुसाँईजी स्वयं उस स्वरुप में दर्शन देते थे उस स्वरुप से ही वे बाटे करते थे. वे दोनों उस स्वरुप की श्रृंगार व् भोजन अदि सेवा करते थे. उनकी सांसार में आसक्ति नहीं हुई. वे जीवन भर उस स्वरुप में आसक्त रहे. वे घर में गुप्त रूप से सेवा करते थे, उनके सेवा करने को कोई भी नहीं जनता था. वे माँ बेटा ऐसे कृपा पात्र भगवदीय थे                                                                    
                                                                 | जय श्री कृष्ण|
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