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वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव ५२)श्रीगुसांईजी
के सेवक महीधरजी और फूल बाई
की वार्ता
महीधरजी
क्षत्रिय अलियाणा गाँव में
रहते थे और फूलबाई उनकी बहिन
थी । ये नरसिंह जोशी के यजमान
थे और जो नरहर जोशी के सत्संग
से ही महीधर वैष्णव हुए थे ।
एक दिन अलियाणा गाँव में आग
लग गई । उस समय नरसिंह जोशी
खेरालु गाँव में थे । उन्होंने
वहाँ से ही अलियाणा गाँव की
आग को बैठे-बैठे
ही बुझा दिया यह बात जगन्नाथ
जोशी की वार्ता में लिखी हुई
है । महीधर सरकार के कामदार
बन गए । उन्होंने श्रीगुसांईजी
की गाँव में पधरावनी की ।
श्रीगुसांईजी उनके घर बहुत
दिन तक बिराजे रहे । श्रीगुसांईजी
जब जब भाईला कोठारी के यहाँ
आते थे,
तो वे
महीधरजी के घर अवश्य पधारते
थे । महीधरजी का चित भी
श्रीगुसांईजी के बिना कही भी
नहीं लगता था । अभी तक श्रीगुसांईजी
की बैठक के रूप में अलियाणा
गाँव प्रसिद्ध है । अलियाणा
गाँव की बैठक में अभी तक
श्रीगुसांईजी के दर्शन होते
है । जिस दिन महीधरजी को
श्रीगुसांईजी के दर्शन नही
होते थे उनके पेट में दर्द
होने लग जाता था । इसीलिए
श्रीगुसांईजी एकान्त में
प्रकट होकर महीधरजी को प्रतिदिन
दर्शन दिया करते थे|
महीधरजी
श्रीगुसांईजी के ऐसे कृपा
पात्र थे|
।जय
श्री कृष्ण।
बहुत सुन्दर प्रेरणादायक वार्ताओं के पढने और सुनने से अद्भुत आनंद की अनुभूति होती है । जिसका वर्णन करना मेरे सामर्थ्य से बाहर है। जय श्री कृष्णा ।।
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