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वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव
५४)श्रीगुसांईजी
के सेवक दो पटेल भाईयो की
वार्ता
दोनों पटेल
भाई जिस गाँव में रहते थे,
उसमे
एक देवी का पुरानाजीर्ण मन्दिर
था|
गाँव
का राजा देवी का भक्त था अतः
उसने देवी मन्दिर का जीर्णोद्धार
कर नया मन्दिर बनवाने का विचार
किया। राजा ने मन्दिर बनवाने
के लिए गाँव के लोगों पर कर
लगा दिया। यथाशक्ति सभी लोगों
ने कर प्रदान किया। इन पटेल
भाईयो पर भी दो रुपया कर लगाया
था और इन्होने विचार किया-"
अपना
तो धन है नहीं,
यह तो
श्रीठाकुरजी का धन है। हम इसे
कर के रूप में कैसे दे सकते
है?"
इस
विचार के साथ राजा से कर से
छुटकारा पाने का उपाय सोचने
लगे। उन्होंने सोचा-"
देवी
को कूए में डाल देना चाहिए।"
उन्होंने
अपने विचार को कार्यरूप देकर
देवी को कूए में पटक दिया और
आकर घर में सो गए। देवी राजा
की छाती पर चढ़ गई और बोली-"
मै कूए
में पड़ी हूँ । तू मुझको बाहर
निकाल ले। उन वैष्णवों पर दो
रुपया कर लगाया है उन्हें कर
देने से मुक्त कर दे। राजा चौक
उठा। उसने उसी समय पटेलों को
बुलाकर कर माफ़ कर दिया। उसने
देवी को कूए में से बाहर निकलवाया
। दोनों पटेलों को श्रीठाकुरजी
के ऊपर ऐसा विश्वास था कि
उन्होंने देवी को तुच्छ माना
और देवी भी उनका कुछ नहीं बिगाड़
सकी। दोनों पटेल भाई ऐसे कृपा
पात्र थे।
।जय
श्री कृष्ण।
Jis par prabhu kripa karte hain un bhakt jano ki pug dhool bhi mil jaye to ud dhar ho jaye
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