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वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव
५९)श्रीगुसांईजी
के सेवक कृष्ण भटट के बेटा
गोकुल भटट और गोविन्द भटट की
वार्ता
दोनों
भाई बचपन में ही श्रीगुसांईजी
के सेवक हुए और श्रीगुसांईजी
के पास ही पढ़े थे|
अतः
वे पुष्टिमार्ग से सम्बन्धित
श्रीसुबोधिनीजी आदि ग्रंथो
में बहुत प्रवीण थे|
वे
शास्त्रार्थ में भी बहुत कुशल
थे|
बड़े
होने पर एक भाई उज्जैन में
रहने लगा और दूसरा भाई श्रीजी
द्वार में ही रहा|
परन्तु
वे एक-एक
वर्ष में अपनी बदली करते रहते
थे|
एक
भाई एक वर्ष श्रीनाथजी की सेवा
में रहता तो दूसरा भाई उज्जैन
में घर के श्रीठाकुरजी की सेवा
करता|
जब
गोविन्द भटट श्रीजी द्वार
जाते थे तो गोकुल भट्ट उज्जैन
आ जाते थे|
जब
गोकुल भटट श्रीजी द्वार आ जाते
तो गोविन्द भटट उज्जैन चले
जाते थे|श्रीगुसांईजी
की कृपा से श्रीनाथजी और घर
के श्रीठाकुरजी में दोनों
भाइयो की एक समान प्रीति थी|
अतः
दोनों श्रीठाकुरजी (श्रीनाथजी
और घर के श्रीठाकुरजी)
उनके
ऊपर प्रसन्न रहते थे|
यदि
दोनों भाई सेवा व् श्रृंगार
में कही भूल करदेते तो उनको
श्रीठाकुरजी ऐसी रीति सिखाते
थे|
दोनों
भाई श्रीगुसांईजी के ऐसे कृपा
पात्र थे|
।जय
श्री कृष्ण।
जय श्री कृष्ण
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