२५२
वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव
३९)श्रीगुसांईजी
के सेवक गोकुलदास(जिसने
गुप्त भेंट की)
की
वार्ता
गोकुलदास
के पास धन बहुत था|
एक
लाख रुपया की हुण्डी लिखाकर
श्रीगोकुल गया|
उसके
साथ बहुत वैष्णव थे ,
सभी
ने श्रीगुसांईजी के दर्शन
किए और भेंट की|
गोकुलदास
ने कुछ भी भेंट नहीं किया|
सभी
वैष्णव निंदा करने लगे|
गोकुलदास
इतना पैसे वाला है,
तो भी
कुछ भेंट नहीं दी|
खाली
दण्डवत कर दी|
गोकुलदास
ने चुपचाप श्रीगुसांईजी की
गददी के नीचे कागज रख दिया|
उसको
कागज धरते हुए खवास ने देख
लिया|
खवास
ने श्रीगुसांईजी से विनती की
-"
एक
वैष्णव चुपचाप गददी के नीचे
एक कागज रख गया है|
श्रीगुसांईजी
ने कागज भण्डार में भेंज दिया|
बहुत
दिन तक गोकुलदास श्रीगुसांईजी
के साथ श्रीगोकुल में और श्रीजी
द्धार में रहा लेकिन कभी भी
उसने इसे प्रकट नहीं किया लोग
उसकी कंजूसी की निन्दा करते
रहे लेकिन उसने गुप्त भेंट
का भेद नहीं खोला|
श्रीगोकुलदास
श्रीगुसांईजी के ऐसे कृपा
पात्र थे|
।जय
श्री कृष्ण।
0 comments:
Post a Comment