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वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव
३३)श्रीगुसांईजी
के सेवक कृष्णदास तथा ईश्वरदास
की वार्ता
कृष्णदास
तथा ईश्वरदास दोनों भाई
निष्किंचन थे और श्रीगुसांईजी
के पास रहकर जलधरा की सेवा
करते थे|
दोनों
भाई अफीम बहुत खाते थे|
श्रीगुसांईजी
परदेश जाते तो इन्हें साथ ले
जाते थे|
एक दिन
श्रीगुसांईजी ने इन्हें अफीम
खाते देख लिया तो उन्होंने
इसे छोड़ने की आज्ञा दी|
उन्होंने
श्रीगुसांईजी से पूछा-"अफीम
खाने में क्या दोष है?"
श्रीगुसांईजी
ने आज्ञा की-"
अफीम
भगवत स्वरूप को भुलाती है|
पुरुषार्थ
को घटाती है और तत्व निश्चय
को भुलाकर अतत्व में मन लगाती
है|
अफीम
खाने वाले को जब तक अफीम नहीं
मिले तब तक कहीं भी चित्त नहीं
लगता है|"
यह
सुनकर उन दोनों ने अफीम खाना
छोड़ दिया|
अब तो
वे दोनों भाई भगवत रस में लीन
रहने लगे|
उन्हें
भगवत रस का अमल रहने लगा|
दोनों
भाई ऐसे भगवदीय श्रीगुसांईजी
के कृपा पात्र थे|
।जय
श्री कृष्ण।
jai shree krishana
ReplyDeletekhuaj sundar
Jai shree Krishna. shree girirajdharan ki jai. Shrinathji pyare ki Jai
ReplyDeleteJAI SHREE KRISHNA
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