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वैष्णवो की वार्ता
(वैष्णव-१५०)श्रीगुसांईजी
के सेवक एक क्षत्राणी की
वार्ता
वह
क्षत्राणी श्रीगुसांईजी के
पास नाम सुनने के लिए बैठी
लेकिन उसको अष्टाक्षर मंत्र
नहीं आया। श्रीगुसांईजी ने
उस क्षत्राणी से पूछा -
"तुझे
मेरा नाम याद है?"
उसने
"हाँ"
में
उतर दिया। श्रीगुसांईजी ने
आज्ञा की -"इसी
नाम की जाप कर|"
वह
क्षत्राणी रात दिन श्रीगुसांईजी
का नाम जपती रहती थी|
इस
नाम के जप से श्रीनाथजी उस पर
प्रशन्न हो गए|
और
उसे दर्शन दिये|
उसके
घर आकर माखन मांगते थे तथा दूध
आरोगते थे|
वह
क्षत्राणी श्रीगुसांईजी की
ऐसी कृपा पत्र थी|
|जय
श्री कृष्णा|
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