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वैष्णवो की वार्ता
(वैष्णव-१४८)श्रीगुसांईजी
के सेवक द्वारकादास की वार्ता
द्वारिकादास
हथियार बाँधकर सीलगाँव में
रहते थे। वे श्रीगोवर्धननाथजी
के दर्शन करने अाते थे तो उनकी
देह की दशा भूल जाते थे। दूसरे
मनुष्य उन्हें मन्दिर के बहार
उठाकर लाते थे। श्रीगुसांईजी
भी सेवा से बाहर पधार कर
द्वारिकादास को आवाज(हेला)
लगाते
तो उनको देह की सुधि आती थी|
जब
भी वे दर्शन के लिए आते थे,उनकी
यही गति होती थी|
वे
नित्यप्रति श्रीनाथजी के
स्वरूप में छके रहते थे। वह
द्वारकादास श्रीगुसांईजी
के ऐसे कृपा पात्र थे।
|जय
श्री कृष्णा|
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