Monday, February 9, 2015

(वैष्णव - ८ ) श्री श्रीगुसांईजी के सेवक भीष्मदास क्षत्री की वार्ता



२५२ वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव - ) श्री श्रीगुसांईजी के सेवक भीष्मदास क्षत्री की वार्ता 


 

भीष्मदास पूर्व देश के निवासी थे जो ब्रजयात्रा करते हुए श्रीगोकुल में आए । यहाँ श्रीगुसांईजी के दर्शन किए और श्रीगुसांईजी से विनती की - " मुझे शरण में ले ओ ।" श्रीगुसांईजी ने भीष्मदास और उसके परिवार के लिए नाम निवेदन कराया । भीष्मदास ने श्रीनाथजी के दर्शन किए । दर्शन करके उसका मन बहुत प्रसन्न हुआ । श्रीगुसांईजी से भगवत् सेवा पधराने की विनती की । श्रीगुसांईजी ने बालकृष्ण की सेवा पधरा दी । भीष्मदास बड़े मनोयोग से श्रीबालकृष्णजी की सेवा करने लगे । एकदिन श्रीबालकृष्णजी ने भीष्मदास से स्वप्न में कहा - " हमारे लिए एक नया मन्दिर बनवा दो ।" तब भीष्मदास ने श्रीगोकुल में श्रीबालकृष्णजी का नया मंदिर बनवाया | श्रीगुसांईजी से विनती करके श्रीठाकुरजी को नये मन्दिर में पधराया । भीष्मदास और उसकी स्त्री भली भाँति सेवा करने लगे । जन्म पर्यन्त श्रीगुसांईजी के चरणारविन्द को छोड़ कर कहीं भी नहीं गए । भीष्मदास प्रतिदिन सायं के समय रमणरेती जाते थे । वहाँ इन्हें रास लीला आदि के दर्शन होते । भीष्मदास ऐसे कृपापात्र भगवदीय हुए । 
                                         
।जय श्री कृष्ण।
 
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