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वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव
-
८
)
श्री
श्रीगुसांईजी के सेवक भीष्मदास
क्षत्री की वार्ता
भीष्मदास
पूर्व देश के निवासी थे जो
ब्रजयात्रा करते हुए श्रीगोकुल
में आए । यहाँ श्रीगुसांईजी
के दर्शन किए और श्रीगुसांईजी
से विनती की -
" मुझे
शरण में ले ओ ।"
श्रीगुसांईजी
ने भीष्मदास और उसके परिवार
के लिए नाम निवेदन कराया ।
भीष्मदास ने श्रीनाथजी के
दर्शन किए । दर्शन करके उसका
मन बहुत प्रसन्न हुआ । श्रीगुसांईजी
से भगवत् सेवा पधराने की विनती
की । श्रीगुसांईजी ने बालकृष्ण
की सेवा पधरा दी । भीष्मदास
बड़े मनोयोग से श्रीबालकृष्णजी
की सेवा करने लगे । एकदिन
श्रीबालकृष्णजी ने भीष्मदास
से स्वप्न में कहा -
" हमारे
लिए एक नया मन्दिर बनवा दो ।"
तब भीष्मदास
ने श्रीगोकुल में श्रीबालकृष्णजी
का नया मंदिर बनवाया |
श्रीगुसांईजी
से विनती करके श्रीठाकुरजी
को नये मन्दिर में पधराया ।
भीष्मदास और उसकी स्त्री भली
भाँति सेवा करने लगे । जन्म
पर्यन्त श्रीगुसांईजी के
चरणारविन्द को छोड़ कर कहीं
भी नहीं गए । भीष्मदास प्रतिदिन
सायं के समय रमणरेती जाते थे
। वहाँ इन्हें रास लीला आदि
के दर्शन होते । भीष्मदास ऐसे
कृपापात्र भगवदीय हुए ।
।जय श्री
कृष्ण।
Shri Gusainji Param Dayal ki Jai...
ReplyDeleteJai Shri Krishna
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