Saturday, November 28, 2015

Shri Gusaiji Ke Sevak Ki Varta( Jo Delhi Me Rahta Tha)

२५२ वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव ८०)श्रीगुसांईजी के सेवक की वार्ता( जो दिल्ली में रहता था)


दिल्ली के वैष्णव श्रीनाथीजी के दर्शन करने के लिए गए| वे दर्शन करके बहुत प्रसन्न हुए| उन्होंने श्रीरामचन्द्रजी का माहात्म्य बहुत सुना था| अतः उनके मन में अयोध्या जाकर श्रीरामचन्द्रजी के दर्शन करने का भी उत्साह हुआ| वे श्रीगुसांईजी की आज्ञा लेकर श्रीरामचन्द्रजी के दर्शन करने के लिए अयोध्याजी गए| वहाँ पहुँच कर उनके मन में भाव आया कि यहाँ पर श्रीनाथजी जैसा सुख नहीं है| अतः वह श्रीरामचन्द्रजी की ओर पीठ करके खड़ा हो गया| इस दुभार्व से उसे कुष्ठ हो गया| उसने श्रीरामचन्द्रजी से कहा - " मै श्रीनाथजी को छोड़कर आपके दर्शन करने आया हूँ| यही मेरा बड़ा अपराध है| इस अपराध का निस्तारण कुष्ठ मात्र से क्या हो सकेगा| मेरे तो रोम रोम में कीड़े पड़ने चाहिए तभी मेरे अपराध की निवृति होगी| इस प्रकार अनन्यता की वाणी सुनकर श्रीरामचन्द्रजी बहुत हँसे| उन्होंने आज्ञा दी-" जाओ, श्रीनाथजी के दर्शन करो| श्रीरामजी के वचन सुनते ही उसका कुष्ठ दूर हो गया| उसने वहाँ से आकर श्रीनाथजी के दर्शन किए| इस  प्रकार वे अनन्य वैष्णव थे| उनकी अनन्यता देखकर श्रीनाथजी बहुत प्रसन्न हुए और उनको हर प्रकार से अनुभव भी जताए|  


।जय श्री कृष्ण।
  • Blogger Comments
  • Facebook Comments

1 comments:

  1. श्री जी बाबा की जय। श्री यमुना महारानी की जय। श्री महाप्रभु जी की जय। श्री गोसाईंजी की जय। गुरुदेव जी प्यारे की जय।

    ReplyDelete

Item Reviewed: Shri Gusaiji Ke Sevak Ki Varta( Jo Delhi Me Rahta Tha) Rating: 5 Reviewed By: Unknown
Scroll to Top