Thursday, September 24, 2015

Shri Gusaiji Ke Sevak Nanakchand Baniya( Rajnagar Nivasi) Ki Varta

२५२ वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव ६२)श्रीगुसांईजी के सेवक नानकचन्द बनिया (राजनगर निवासी) की वार्ता


नानकचन्द बहुत धनिक थे और श्रीगुसांईजी को पूर्ण पुरषोत्तम के रूप में जानते थे| इसी बीच श्रीगोकुलनाथजी के विवाह का समय आया| श्रीगुसांईजी ने कुंकुम पत्री लिखी| नानक चंद ने सम्पूर्ण देश में वैष्णवो को समाचार भेजे| उस समय गुजरात के सब वैष्णव श्रीगोकुलनाथजी के विवाह के सुअवसर पर श्रीगोकुल में पधारे| सभी ने पांच पांच रुपया भेट के दिये और हजार रुपया की हुण्डी भेजी| सभी लोग कहने लगे नानकचन्द बहुत लोभी है, इसने कुल एक हजार रुपया ही भेट भेजी है| किसी ने यह बात श्रीगुसांईजी से कही| श्रीगुसांईजी ने आज्ञा की-" नानक चंद के अन्तः करण की भावना को हम जानते है| उसने प्रकट में तो एक हजार रुपया भेट किये है लेकिन गुप्त रीति से दस हजार वैष्णवो के द्वारा पांच पांच रुपया प्रति वैष्णव के हिसाब से पचास हजार रुपया भेजे है| उसके अन्तः करण की बात को हमने जान लिया है| " वे नानकचन्द ऐसे कृपा पात्र थे जिसने गुप्त रीति से सेवा की |

।जय श्री कृष्ण।


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