Thursday, July 16, 2015

Shri Gusaiji Ke Sevak Deva Bhai Patel Ki Varta

२५२ वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव ४८)श्रीगुसांईजी के सेवक देवा भाई पटेल की वार्ता

देवा भाई पटेल गुजरात में रहते थे| श्रीठाकुरजी पधरा कर सेवा करते थे और नियम पूर्वक वैष्णवों को प्रतिदिन प्रसाद कराते थे| जिस दिन प्रसाद लेने वाला कोई वैष्णव नहीं मिलता था, उस दिन देवा भाई और उसकी स्त्री भूखे ही रहते थे| वे दोनों ही भगवद रस में छके रहते थे| एक बार श्रीगुसांईजी गुजरात पधारे| देवा भाई के बेटा ने श्रीगुसांईजी से विनती की-" जिस दिन कोई वैष्णव प्रसाद लेने नहीं आता है उस दिन देवा भाई भूखे रहते है| मै तो प्रसाद लेकर खेती करने चला जाता हूँ| माता-पिता को भूखे छोड़कर मै प्रसाद ग्रहण कर लेता हूँ| यह अपराध कैसे मिटे?" देवा भाई के बेटा की बात सुनकर श्रीगुसांईजी बहुत प्रसन्न हुए और उससे कहा-" तुम प्रतिदिन स्नान करके श्रीठाकुरजी के चरण स्पर्श करो और भोग धरो, तुम्हारा अपराध निवृत हो जाएगा| श्रीगुसांईजी ने देवा भाई से कहा-"यदि किसी दिन कोई वैष्णव नहीं आए तो गाय के लिए पत्तल रख कर तुम प्रसाद कर लिया करो|" श्रीगुसांईजी की आज्ञानुसार देवा भाई वैसे ही करने लग गए| देवा भाई का बेटा खेती करता था| उसका घर खर्च से जो धन बचता उसे श्रीनाथजी द्वार भेज देते थे| वे देवा भाई श्रीगुसांईजी के ऐसे कृपा पात्र थे|
।जय श्री कृष्ण।


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