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वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव
४८)श्रीगुसांईजी
के सेवक देवा भाई पटेल की वार्ता
देवा भाई
पटेल गुजरात में रहते थे|
श्रीठाकुरजी
पधरा कर सेवा करते थे और नियम
पूर्वक वैष्णवों को प्रतिदिन
प्रसाद कराते थे|
जिस
दिन प्रसाद लेने वाला कोई
वैष्णव नहीं मिलता था,
उस दिन
देवा भाई और उसकी स्त्री भूखे
ही रहते थे|
वे
दोनों ही भगवद रस में छके रहते
थे| एक
बार श्रीगुसांईजी गुजरात
पधारे|
देवा
भाई के बेटा ने श्रीगुसांईजी
से विनती की-"
जिस
दिन कोई वैष्णव प्रसाद लेने
नहीं आता है उस दिन देवा भाई
भूखे रहते है|
मै तो
प्रसाद लेकर खेती करने चला
जाता हूँ|
माता-पिता
को भूखे छोड़कर मै प्रसाद ग्रहण
कर लेता हूँ|
यह
अपराध कैसे मिटे?"
देवा
भाई के बेटा की बात सुनकर
श्रीगुसांईजी बहुत प्रसन्न
हुए और उससे कहा-"
तुम
प्रतिदिन स्नान करके श्रीठाकुरजी
के चरण स्पर्श करो और भोग धरो,
तुम्हारा
अपराध निवृत हो जाएगा|
श्रीगुसांईजी
ने देवा भाई से कहा-"यदि
किसी दिन कोई वैष्णव नहीं आए
तो गाय के लिए पत्तल रख कर तुम
प्रसाद कर लिया करो|"
श्रीगुसांईजी
की आज्ञानुसार देवा भाई वैसे
ही करने लग गए|
देवा
भाई का बेटा खेती करता था|
उसका
घर खर्च से जो धन बचता उसे
श्रीनाथजी द्वार भेज देते
थे| वे
देवा भाई श्रीगुसांईजी के
ऐसे कृपा पात्र थे|
।जय
श्री कृष्ण।
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