Tuesday, October 10, 2017

Shri Gusaniji Ke Sevak Patel Vaishnav Ki Varta


२५२ वैष्णवों की वार्ता   
(वैष्णव ८६ श्री गुसाँईजी के सेवक पटेल वैष्णव की वार्ता

वह पटेल गुजरात से आकर श्रीगुसाँईजी का सेवक हुआ. उसने साडी ब्रज यात्रा भी कर ली थी एक दिन श्री गुसाँईजी कथा कह रहे थे। "यमुनाष्टक की कथा" उस पटेल वैष्णव ने सुनी। पटेल ने पूछा - "महाराज, इन आठ श्लोक में अपने अष्ट सिद्धि की आज्ञा की है. परन्तु किस श्लोक से कौनसी सिद्धि होती है, यह नहीं बताया है. कृपा करके समजाओ। तब श्री गुसाँईजी ने आज्ञा की - साक्षात सेवोपयोगी देह की प्राप्ति रूपी सिद्धि प्रथम श्लोक में कही गई हे. तदरसानुभव रूपी सिद्धि तीसरे श्लोक में कही है यमुनाजी का षट्गुण सम्पन्न स्वरुप की सिद्धि चौथे श्लोक में कही गई है. ततलीलावलोकन की'सिद्धि छठे श्लोक में निहित हे. भगवद वशीकरण रूपी सिद्धि सातवे श्लोक में सम्पादित हे. जिनके ऊपर भगवत कृपा हे तथा श्री यमुनाजी कृपा करती है , उनको एक एक श्लोक में एक सिद्धि के दर्शन होते हे इस प्रकार श्री गुसाँईजी ने आज्ञा की. तब उस पटेल को श्री यमुनाजी ने वैसे ही दर्शन दिए जैसे की श्री गुसाँईजी ने कहा था वह वैष्णव पटेल श्री गुसाँईजी का कृपा पात्र सेवक था.
                                                                    | जय श्री कृष्ण|
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