Tuesday, October 3, 2017

Shri Gusaniji Ke Sevak Bhishmdas Kshtriya Ki Varta


२५२ वैष्णवों की वार्ता   
(वैष्णव १२४ श्री गुसांईजी के सेवक भीष्मदास क्षत्रिय की वार्ता

भीष्मदास पूर्व देश के निवासी थे जो ब्रजयात्रा करते हुए श्री गोकुल में आए. यहां श्री गुसांईजीके दर्शन किये और श्री गुसाँईजी से विनती की - "मुझे शरण में ले लो। " श्री गुसाँईजी ने भीष्मदास ओर उसके परिवार के लिए नाम निवेदन कराया। भीष्मदास ने श्रीनाथजी के दर्शन किए दर्शन करके उनका मन बहुत प्रसन्न हुआ, श्री गुसाँईजी से भगवत सेवा पधराने की विनती की. श्री गुसाँईजी ने बालकृष्ण की सेवा पधरा दी. भीष्मदास बड़े मनो योग से बालकृष्ण की सेवा करने लगे. एकदिन श्री बालकृष्ण जी ने भीष्मदास से सपने में कहा - "हमारे लिए एक नया मंदिर बनवा दो। " तब श्री भीष्मदास ने गोकुल में श्री बालकृष्ण जी का नया मंदिर बनवाया। श्री गुसांईजीसे विनती करके श्रीठाकुरजी को नए मंदिर में पधराया। भीष्मदास और उनकी स्री भली भाँति सेवा करने लगी. जन्म पर्यन्त श्री गुसाईजी के चरणारविन्द को छोड़कर कहीं नहीं गए. भीष्मदास प्रतिदिन सायं के समय रमणरेती जाते थे. वहां इन्हे रासलीला अदि के दर्शन होते भीष्मदास ऐसे कृपा पात्र भवदीय हुए.
                                                                     || जय श्री कृष्ण ||
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