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वैष्णवों की वार्ता
जब ज्ञानचंद
की देह थक गई तो उसने सभी वैष्णवों
से कहा - " तुम
सब भगवन्नाम ले ओ । "
सभी वैष्णव
भगवत् स्मरण करने लगे,
उसी समय
ञानचंदकी देह छूट गई । उसने
नवीन देह धारण करके गोकुल में
श्रीगुसाईजी के चरणों दण्डवत
की । श्रीगुसाईजी ने उससे पूछा
- " कब
आए ? " ञानचंद
ने कहा - " अभी
अभी आया हुँ । " इतने
में ही श्रीनवनीतप्रियजी के
दर्शन खुले । दर्शन करके
ज्ञानचंद लीला में प्रवेश कर
गए । श्रीगुसाईजी बाहर पधारे
। वैष्णवों ने पूछा - "
ज्ञानचंद
कहाँ गए है ? तब
श्रीगुसाईजी ने कहा - "
ज्ञानचंद
भक्तचंद के साथ गए है । यह सुनकर
चाचा हरिवंश जी समज गए की
ज्ञानचंदकी देह छूट गई है ।
वे भगवलीला में लीन हो गए है
। चाचाजी ने सभी वैष्णवों से
कहा - " ज्ञानचंद
ऐसे कृपा पात्र थे जो सभी के
देखते देखते वैष्णवों का
विश्वास जाग्रत करने के लिए
भगवलीला में प्रवेश किया है
।
Jay Shri Krishna
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