Thursday, January 22, 2015

(वैष्णव - ३) श्री गुसाईंजी के सेवक ज्ञानचंद की वार्ता


२५२ वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव - ) श्री गुसाईंजी के सेवक ज्ञानचंद की वार्ता 

 

जब ज्ञानचंद की देह थक गई तो उसने सभी वैष्णवों से कहा - " तुम सब भगवन्नाम ले ओ । " सभी वैष्णव भगवत् स्मरण करने लगे, उसी समय ञानचंदकी देह छूट गई । उसने नवीन देह धारण करके गोकुल में श्रीगुसाईजी के चरणों दण्डवत की । श्रीगुसाईजी ने उससे पूछा - " कब आए ? " ञानचंद ने कहा - " अभी अभी आया हुँ । " इतने में ही श्रीनवनीतप्रियजी के दर्शन खुले । दर्शन करके ज्ञानचंद लीला में प्रवेश कर गए । श्रीगुसाईजी बाहर पधारे । वैष्णवों ने पूछा - " ज्ञानचंद कहाँ गए है ? तब श्रीगुसाईजी ने कहा - " ज्ञानचंद भक्तचंद के साथ गए है । यह सुनकर चाचा हरिवंश जी समज गए की ज्ञानचंदकी देह छूट गई है । वे भगवलीला में लीन हो गए है । चाचाजी ने सभी वैष्णवों से कहा - " ज्ञानचंद ऐसे कृपा पात्र थे जो सभी के देखते देखते वैष्णवों का विश्वास जाग्रत करने के लिए भगवलीला में प्रवेश किया है । 
                                                          | जय श्री कृष्ण | 

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