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वैष्णवों की वार्ता
गोपालदास
नन्द गाँव में रहा करते थे ।
एक दिन श्रीगुसाईजी नन्दगाँव
में पधारे तो गोपालदास ने
उन्हें अपने घर ठहराया । घर
में जो कुछ भी था,
सर्वस्व
समपर्ण कर दिया । इसके बाद वे
एक म्लेच्छ की नौकरी करने लग
गए । गोपालदास वैष्णवों की
सेवा में म्लेच्छ का धन खर्च
कर देते थे । लोगों ने म्लेच्छ
को चुगली करके गोपालदास को
नौकरी से हटवाना चाहा । लेकिन
म्लेच्छ ने लोगों से कहा -
" इसके
भाग्य से ही मेरा द्रव्य दिनों
- दिन
बढ़ रहा है । यह सांसारिक भोगों
में खर्च न करके परमार्थ में
खर्च करता है । अत :
इसे नौकरी
से हटाना संभव नहीं है । सो वो
गोपालदास ऐसे कृपा पात्र थे
, जिनके
संग से म्लेच्छ की बुद्धि भी
निर्मल हो गई ।
| जय श्री कृष्ण |
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