Monday, January 22, 2018

Shri Gusaniji Ke Sevak Nihalchand Jalouta Kshtriy Ki Varta


२५२ वैष्णवों की वार्ता   
( वैष्णव १८ श्री गुसाईंजी निहालचंद्र जलौटा क्षत्रिय की वार्ता



निहालचंद्र जलोटा उज्जैन के निवासी थे। पुष्टिमार्गीय श्रवण में उनकी बहुत आसक्ति और आस्था थी। श्री ठाकुरजी भी उनको अनुभव करते रहते थे। एक समय की बात है - ये निहालचंद्र श्री गोकुल के लिए चल दिए। मार्ग में इनका सोलह व्यापारियों का साथ हो गया चोरो ने मार्ग में से व्यापारियों के साथ ही निहालचंद्र का अपहरण कर इन्हे कैद। चोरो ने इन्हे मर डालने का निश्चय किया चोरो का जो मुख्या पटेल था , उसकी माँ वैष्णव थी। चाचा हरिवंश जी भैलो गाँव को वैष्णव बनाया था , वह उसी गांव की बेटी थी एक दिन रत में उसने कीर्तन की ध्वनि सुनी , क्योंकि निहालचंद्र भाई रात्रि के समय कीर्तन करते थे। पटेल की माँ रात्रि में निहालचंद्र के कैद खाने के निकट गयी और उससे उनका नाम गांव व् स्थान पूछा। जैसे ही इन्होने अपना नाम लिया , वृद्धा की श्रद्धा उमड़ पड़ी। उसने अपने बेटे को बुलाकर उन्हें कैद खाने से बहार निकला। उनसे अपने बेटे को क्षमा कराया समस्त गांव को वैष्णव दीक्षा दिखाई। श्री गुसाईंजी को गांव से भेंट दिलाई निहालचंद ने उन चोरो से कहा की वे चोरी का निन्दित कार्य छोड़कर खेती करना प्रारम्भ करें। निहालचंद ने साथ के सोलह व्यापारियों को भी मुक्त करा दिया। वहाँ से निहालचंद ने सात के सोलह व्यापारियों को भी मुक्त करा दिया। वंहा से निहालचंद उन व्यापारियों के साथ श्री गोकुल आए। वे सोलह व्यापारी भी वैष्णव हुए। वैष्णवों के पास जो मॉल था , वह सब उन्होंने श्रीगुसाईंजी को भेंट कर दिया। वे निहालचंद ऐसे कृपा पात्र थे जिनके साथ से भैलो का गांव और व्यापारी वर्ग वैष्णव हो गए।
     

                                                                   || जय श्री कृष्ण || 
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