Wednesday, June 7, 2017

Shree Gusainji Ke Sevak Kishoree Baee Kee Vaarta

२५२ वैष्णवो की वार्ता  
(वैष्णव - १५१ श्रीगुसांईजी की सेवक किशोरी बाई की वार्ता
किशोरी बाई एक वैष्णव की बेटी थी जो बाल्यावस्था में ही श्रीगुसांईजी की सेवक हुई| इसके बाद उसके शीतला (चेचक) निकली, उसके प्रभाव से वह पैरों से लुज्ज (लूली) हो गई| उसके माता - पिता का निधन हो गया| उसकी एक बहिन थी जो एक बार भोजन करा देती थी| किशोरी बाई बचपन में ही यमुनाजीजीष्टक का पाठ करना सिख गई थी| वह अष्ट प्रहर श्रीयमुनाजीजीष्टक का पाठ किया करती थी| एक दिन किशोरी बाई की बहिन कुपित हो गई अत: वह उसे खाना खिलने नही आई| उस दिन श्रीयमुनाजीजीजी स्वयं पधारीं और रसोई करके प्रसाद लिव गई| उसी दिन उसका आधा रोग मिट गया| दूसरे दिन भी श्रीयमुनाजीजीजी ने पूवॅत् कृपा की और किशोरी बाई का सारा रोग मिट गया| तीसरे दिन तो किशोरी बाई स्वयं ही रसोई बनाने लग गई| उसने रसोई कर भोग लगाया और महा प्रसाद लिया| चौथे दिन किशोरी बाई रसोई करने लगी| उसी समय उसकी बहिन के मन में विचार आया - "चार दिन हो गए हैं, किशोरी बाई ने कुछ भी नही खाया है, अत: उसकी सुधि तो लेनी चाहिए|" यह विचार करके किशोरी बाई की बहिन आई तो उसने किशोरी बाई को रसोई करते देखा| वह देखकर चकित हो गई| उसके मन में विचार आया की इसकी विकलांगता कैसे मिट गई? किशोरी बौ की बहिन ने गाँव के लोगो को यह समाचार दिया तो गाँव के लोग उसे देखने को आए| सभी को आश्चर्य और प्रसन्नता हुई| किशोरी बाई पर कृपा करके उसके गाँव मैं श्रीगुसांईजी पधारे| किशोरी बाई चलकर दर्शन करने आई| उसने श्रीगुसांईजी से प्रार्थना की - "महाराज, मेरे सेवा पधराने की कृपा करें|" श्रीगुसांईजी ने आज्ञा की - "तुम्हारे ऊपर श्रीयमुनाजीजीजी की कृपा हुई हैं| मैं तुमको श्रीयमुनाजीजीजी की रेती एक थैली मैं भरकर पधरा देता हूँ| तुम सभी साज श्रृंगार से सेवा करो| यह सुनकर किशोरी बाई बहुत प्रसन्न हुई| श्रीगुसांईजी ने उसे रमणरेती की रेती की थैली दी| किशोरी बाई ने उसे सिंहासन पर पधरा कर पुष्टिमार्ग की रीति के अनुसार सेवा करना प्रारम्भ कर दिया| उसकी सेवा के प्रभाव से किशोरी बाई के ऊपर ऐसी कृपा हुई की उसे उसी गद्दी के ऊपर श्रीनाथजी के दर्शन हुए| कभी श्रीनवनीतप्रियजी, किसी दिन श्रीमथुरानाथजी, कभी श्रीविट्ठलेशजी, किसी किसी दिन श्रीद्वारिकानाथजी, श्रीगोकुलनाथजी, श्रीगोकुलचन्द्रजी, श्रीबालकृष्णजी और कभी श्रीमदनमोहनजी के दर्शन होने लगे| किशोरी बाई को सभी स्वरूपों के लीला सहित दर्शन होने लगे| वह किशोरी बाई ऐसी कृपा पात्र हुई|


                                                                    | जय श्री कृष्ण|
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