श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2017 सिर्फ 15 अगस्त को मनाइए जन्माष्टमी
इस बार Krishna Janmashtami सोमवार 15 अगस्त को मनाई जाएगी। भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाने के लिए लखनऊ में तैयारियां जोरों -शोरों से शुरू हो गई हैं। यहां अलग-अलग जगह पर झांकियों के खास इंतजाम किए जा रहे हैं। हिन्दू कालगणना के अनुसार Krishna का जन्म आज से लगभग 5,243 वर्ष पूर्व हुआ था। वेदों और पुराणों में बताया गया है कि जब श्री जब भगवान श्री कृष्ण का स्वर्गवास हुआ तभी से कलयुग का आगमन हुआ।
श्री कृष्ण के अवतीर्ण होने का मात्र एक उद्देश्य था कि इस पृथ्वी को पापियों से मुक्त किया जाए। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने जो भी उचित समझा वही किया। उन्होंने कर्मव्यवस्था को सर्वोपरि माना, कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को कर्मज्ञान देते हुए उन्होंने गीता की रचना की जो कलिकाल में धर्म में सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। कृष्ण जन्म अष्टिमी का पर्व पूरे भारत में बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है।
यह है Krishna Janmashtami व्रत के नियम
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के दौरान एकादशी उपवास के दौरान पालन किये जाने वाले सभी नियम पालन किये जाने चाहिये। जन्माष्टमी के व्रत के दौरान किसी भी प्रकार के अन्न का ग्रहण नहीं करना चाहिये। जन्माष्टमी का व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद एक निश्चित समय पर तोड़ा जाता है जिसे जन्माष्टमी के पारण समय से जाना जाता है। यदि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में से कोई भी सूर्यास्त तक समाप्त नहीं होता तब जन्माष्टमी का व्रत दिन के समय नहीं तोड़ा जा सकता।
श्री कृष्ण के अवतीर्ण होने का मात्र एक उद्देश्य था कि इस पृथ्वी को पापियों से मुक्त किया जाए। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने जो भी उचित समझा वही किया। उन्होंने कर्मव्यवस्था को सर्वोपरि माना, कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को कर्मज्ञान देते हुए उन्होंने गीता की रचना की जो कलिकाल में धर्म में सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। कृष्ण जन्म अष्टिमी का पर्व पूरे भारत में बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है।
यह है Krishna Janmashtami व्रत के नियम
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के दौरान एकादशी उपवास के दौरान पालन किये जाने वाले सभी नियम पालन किये जाने चाहिये। जन्माष्टमी के व्रत के दौरान किसी भी प्रकार के अन्न का ग्रहण नहीं करना चाहिये। जन्माष्टमी का व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद एक निश्चित समय पर तोड़ा जाता है जिसे जन्माष्टमी के पारण समय से जाना जाता है। यदि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में से कोई भी सूर्यास्त तक समाप्त नहीं होता तब जन्माष्टमी का व्रत दिन के समय नहीं तोड़ा जा सकता।
|
जय श्री कृष्ण|
15 August is Tuesday
ReplyDelete