Wednesday, October 28, 2015

Shri Gusaiji Ke Sevak Venidas Chhipa Ki Varta

२५२ वैष्णवों की वार्ता
(वैष्णव ७५)श्रीगुसांईजी के सेवक वेणी दास छीपा की वार्ता

वे वेणीदास गुजरात में रहते थे| जब श्रीगुसांईजी गुजरात पधारे तो वेणीदास ने उनके दर्शन किए| उसे श्रीगुसांईजी के दर्शन पूर्ण पुरषोत्तम के रूप में हुए| वेणीदास उनके सेवक हुए| श्रीगुसांईजी से प्राथना करके श्रीठाकुरजी पधराकर सेवा करने लगे| थोड़े दिन के पीछे वेणीदास ने एक हजार रूपये का परकाला लिया, सो उसे बॉस की लकड़ी में भरकर श्रीगुसांईजी के पास श्रीगोकुल में लाए| यहाँ उन्होंने श्रीनवनीतप्रियजी के दर्शन किए| वेणीदास श्रीगुसांईजी के साथ श्रीनाथजी द्वार आए और उन्होंने परकाला श्रीनाथजी को धराया| उस समय वेणीदास छीपा ने श्रीनाथजी के दर्शन किए तो वह तन्मय हो गए| और देहानुसंधान भूल गए| वे मन्दिर में मूर्च्छित होकर गिर पड़े| श्रीगुसांईजी ने वेणीदास को चरण स्पर्श कराये| उन्होंने चरणोदक दिया तो वेणीदास को चेत हुआ| वेणीदास ने श्रीगुसांईजी से विनती की-" महाराज, मुझे ऐसे आनन्द से बाहर क्यों कर दिया?" श्रीगुसांईजी ने आज्ञा की-" अभी तो तुमको बहुत काम करने है|" वेणीदास ने इसे श्रीगुसांईजी का अनुग्रह माना| उसने ब्रजयात्रा की और श्रीगुसांईजी से विदा होते समय प्राथना की " प्रभो, मेरे घर में जो श्रीठाकुरजी विराजमान है वे श्रीनाथजी के स्वरूप में दर्शन देते रहे, ऐसी कृपा करे|" श्रीगुसांईजी ने आज्ञा की-" श्रीठाकुरजी पुष्टिमार्गीय जीवो के सारे मनोरथो को पूर्ण करते है, तुम्हारे भी मनोरथ पूर्ण होंगे| वेणीदास विदा होकर गुजरात चले गए| घर में श्रीठाकुरजी की सेवा करने लगे| घर के श्रीठाकुरजी वेणीदास के मनोरथ के अनुसार दर्शन देने लगे| वेणीदास श्रीगुसांईजी के ऐसे कृपा पात्र भगवदीय थे|


।जय श्री कृष्ण। 
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3 comments:

  1. जय श्री कृष्णा। श्याम सूंदर श्री यमुना महारानी की जय। श्री महाप्रभु जी की जय। श्री गोसाईंजी परम दयाल की जय। गुरुदेव जी प्यारे की जय। सर्व वैष्णव जन की जय।

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  2. जय श्री कृष्णा। श्याम सूंदर श्री यमुना महारानी की जय। श्री महाप्रभु जी की जय। श्री गोसाईंजी परम दयाल की जय। गुरुदेव जी प्यारे की जय। सर्व वैष्णव जन की जय।

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  3. shri nathji ke darshan kiye accha laga

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